Sunday 11 December 2016

Episode-6

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निशा- क्या मैने तुम्हे समीर के बारे मे नहीं बताया?
शानू- पिछले एक हफ्ते से तुमने मुझसे ठीक से बात ही कहाँ की है।
निशा- हां। सही है
शायद हम दोनो ही एक दूसरे को कुछ बताना चाह रहे थे पर हमारी दोस्ती को तो जेसे किसी की नज़र लग गयी थी।
शांनु- हाँ!सच में। 
छोड़ो यह सब तुम और बताओ कि समीर कौन है?
निशा- समीर अपने ही कॉलेज में रिसर्च कोर्स के लिए आया है। उसे पशु पक्षियों से बहुत प्यार है। वो सादगी और समझदारी का प्रतीक है।और वो उन कुछ लोगो में शामिल हो चुका है जिनसे मुझे बातें करना पसंद है।
शानू- एक मिनट!
समीर सच मे भी है या कल्पना है ? यह सारी आदतें तो समर की है।क्या तु समर को ही समीर बोलने लगी है आजकल?
निशा- नहीं बाबा। समीर से मैं तालाब के पास मिली थी।फिर अगले दिन पुस्तकालय में और फिर हमने साथ में कॉफी भी पी थी।
शानू- और रिसर्च सेंटर कहाँ है अपने कॉलेज में? मेंने तो कभी नहीं देखा!
निशा- वो पुस्तकालय के पीछे है।तु कभी किताबे पड़ने जाएगी तब तो दिखेगा।
और समर कहानी का पात्र है। असल ज़िन्दगी मे वैसा कोई केसे हो सकता है?उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती।
शानू- मुझे समीर से कब मिलवा रही है? जल्दी बता
निशा-इतनी तपती हुई धूप में समीर तालाब के पास बत्तखों को निहार रहा होगा।चल वही।

निशा अपनी दोस्त को वापस पाकर खुश थी।समीर का उसकी ज़िन्दगी में एकाएक महत्व बड़ गया था इसलिए उसको शानु से मिलवाने में उसे बहुत खुशी हो रही थी।वो उसको उसी तालाब के पास ले गयी जहां वो पहली बार मिले थे।अब बस यह देखना था की समीर वहा मिलता है या नहीं! और क्या समीर है भी?

शानु को पहली नज़र में वहा कोई नहीं दिखता है। निशा उसे थोड़ी आगे झाड़ियो के पास ले जाती है। वहां समीर चुपचाप ,मन्द मन्द मुस्कुराते हुए बत्तखों को निहार रहा है।वो रुक रुक कर बत्तखों से बात करने की भी कोशिश कर रहा है

निशा- क्या गुफ्तगू चल रही है साहब!
समीर- हेल्लो निशा। कुछ नहीं बस इनके खेल में अपने बचपन को याद कर रहा हूँ। छोटे बच्चे कितने प्यारे होते है ना! ना ही किसी से बैर ,न ईर्ष्या और ना ही नफरत का कोई भाव।
निशा- हां। सही है।
समीर- तुम कब आई और यह शानु है क्या?
निशा- हां समीर।यही है मेरी सबसे प्यारी सहेली शानु।
समीर- हाय शानु !
शानु- हेल्लो समीर। 
निशा ने जेसा बताया था तुम्हारे बारे में तुम वेसे ही हो।मुझे तो इसकी बातों पर यकीन ही नही हो रहा था कि तुम जेसे लड़के होते है आज कल।
समीर- सच्चाई तो यह है शानु कि हर लड़का वैसा नही होता जैसा दिखता है।कभी ना कभी वो ऐसे हालातो में ढ़ल जाता है जैसा उसके दोस्त, उसकी सहेलियाँ और उसका परिवार उससे उम्मीद रखते है।इंसानियत, प्रेम ,अपनापन भी सबमे ही होता है।पर बहुत लोग उपहास के डर से यह सब अपने दिल में ही दबा लेते है।
शानु- और तुम्हारे वजह से ही हम दोनो की दोस्ती बनी हुई है। थैंक्यू 
समीर-उसकी कोई ज़रूरत नही है।
और बताओ शुभ कैसा है?
शानु- उसमे कोई शक नही की तुमने उसके बारे में सुना होगा। उससे रोज़ मिलना नही होता। बस वो दोस्त ही है।जितनी दूरी ज़रूरी है उतनी दूर ही रहूंगी।
निशा- कोई और भी बैठा है यहां।भूल ही गए मुझे तो तुम सब।
शानु- अच्छा बाबा। चक इट ।मैं जा रही घर
मिलते है फिर। बाय।
समीर,निशा- बाय शानु।

निशा- मुझे समझ नही आ रहा की तुम्हे कैसे धन्यवाद दूँ।तुम्हारी वजह से मेरी और निशा की दोस्ती सलामत है।
समीर- नही यार|मुझे धन्यवाद बोलकर शर्मिंदा मत करो। मैने वही किया जो मैं खुद करता। अब कम से कम बार बार ख्यालो में नही खो जाओगी तुम।
निशा(हंसते हुए) - सही कहा तुमने।वैसे तुम्हारे साथ समय का पता ही नही चलता है। मुझे भी जाना है।चलती हुँ मैं।
समीर- बाय।

ऐसे ही निशा और समीर मिलते रहे ।कभी कॉफी कभी घूमना-फिरना और बातचीत के सहारे उनकी दोस्ती का कारवां चलता रहा। 

एक शाम ऐसे ही ठण्डी हवाओं के बीच ,तालाब किनारे दोनो पक्षियों के खेल को निहार रहे थे।और निशा के हाथ में थी 'समर का सफर'।
समीर-तुम यही किताब क्यों पड़ती रहती हो?माना कि यह बहुत अच्छी है पर और भी किताबें है पड़ने के लिए।
निशा- इस किताब में समर है। और समर मेरी ज़िन्दगी में इकलौता लड़का था। उसकी सादगी, सरलता और सच्चाई,उसकी पसन्द ,सबसे मुझे प्यार है।
समीर- क्या तुम्हे असली ज़िन्दगी में प्यार नही हो सकता?
निशा- झूठ की बुनियाद पर बुनी हुई इस दुनिया में सच्चा प्यार मिलना बहुत मुश्किल है।
समीर- प्यार ही तो इस दुनिया का आधार है।प्यार के बिना यह दुनिया में आक्रोश और मारपीट बहुत बड़ जाएगी।प्यार ही दुनिया का आधार है।
निशा- वो कैसे?
समीर- बच्चे के रोने से माँ की चिंता , एक-एक दाना लाकर घोसला बुनती चिडिया, फरेब की दुनिया में बिना मतलब लड़कियों से दोस्ती करते कुछ लड़के, और गलत लोगो से दूर रहने की अंजानो को सलाह देना। यही निस्वार्थ भावना इस दुनिया का आधार है। माँ बाप कभी नही जानते की उनका बच्चा आगे उनको रखेगा या नही। पर फिर भी उसको पालने के लिए कोई कमी नही छोड़ते ।यही प्यार है निशा। 
निशा- हां समीर।पर संबंध बनाना प्यार नही है क्या?
समीर- बस आई लव यु बोलकर एक दूसरे से संबंध की शुरुआत को अगर कोई प्यार मानता है तो यह सिर्फ धोका ही दे सकता है।
प्यार दोनो तरफ से और निस्वार्थ भाव से ही हो सकता है। जब दूसरो की खुशी आपकी खुशी से बढ़कर है और जब बातों की गहराइयो को आप समझने लगते है तब प्यार का असली अर्थ आप समझ पाते है।बस इन सब को पहचानने और अपनाने की ज़रूरत है।

निशा- इन सब के बारे में मुझे सोचना पड़ेगा।
समीर - ज़रूर सोचना ।मैं चलता हूँ।

निशा उसकी बातों में खो जाती है।उसे उन बातों की सच्चाई मेहसुस हो रही थी।उसने प्यार के बारे में कभी नही सोचा था।अब उसे अगले दिन समीर से मिलने का इंतेज़ार था। उसे कुछ कहना था उससे।

अगली सुबह।
समीर -हेल्लो निशा।
निशा- हेल्लो समीर। कही जा रहे हो?
समीर- अरे हां।मैं तुम्हे बताना भूल गया की मेरा एक महीने का ही कोर्स था।अब मेरे जाने का समय हो गया। मैं आज ही निकल रहा हूँ।अच्छा हुआ तुम मुझे यहां मिल गयी। पता नही फिर कब मिलना होता।
निशा- वापस कब आओगे तुम?
समीर -अभी कुछ कह नही सकता। मौसम के हिसाब से अलग अलग जगह विभिन्न पक्षियों को देखने जाता हु मैं। क्या पता कब कहा पहुँच जाऊं!
निशा- तुम पहले बता देते तो अच्छा रहता।
समीर- मेरा प्रोजेक्ट जल्दी खत्म हो गया।इसलिए जाना पड़ेगा। मेरी ट्रेन का समय हो गया हैं। मैं चलता हूँ।
अपना ख्याल रखना।

निशा- बाय!....

इसके आगे निशा कुछ बोल नही पाई या शायद कुछ बोलना नही चाहती थी।वह उसे जाते हुए देख रही थी। पिछले एक महीने मे समीर उसकी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बन गया था।वो शायद कुछ कहना चाहती थी, कुछ समय और बिताना चाहती थी पर उसे रोका नही।
हमारी निशा को प्यार नही हो सकता था।वो उसके लिए शायद बनी ही नही थी। पर उसको प्यार और विश्वास की नई परिभाषा मिली थी।
समीर ने अपनो और परायो मे अंतर सीखा दिया था। कुछ लोगो को खुश रहने के लिए साथ रहने की ज़रूरत नही है।यादें और आदतों के सहारे भी वो ज़िन्दगी में बने रहते है।

जाते-जाते वो हमारी निशा को बदल गया था।हमारी बेपरवाह निशा को लोगो की परवाह होने लगी थी।और उसकी भूरी आखों ने दुनिया के बहुत सारे नए रंग देख लिए थे।उसकी आंखो में किसी की शख्सियत उतर गयी थी। वो तो दूर चले गया था पर उसकी बातें निशा के दिलो-दिमाग में हमेशा -हमेशा के लिए घर कर गयी थी।अगर बेपरवाह होने से लोगो से धोके नही मिलते तो दिल के करीब भी तो कोई नही आ पाता।
किसी ने सच ही कहा है।
It's always better to be loved or cared rather than never ever caring for anyone in your life.
अलविदा

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