Episode - 1
जल्दी आकर नाश्ता करलो बेटा! सब ठंडा हो जाएगा| रोज़ का यही हाल है ! सुनती ही नही है आजकल
घर की चिंताओं से दूर | निशा कही और ही मग्न है | वो अपनी किताबो की रंगीन ,नायाब और मदमस्त दुनिया मैं खोयी हुई है| निशा को किताबे पढ़ने का बहुत शौक है ! वो कहानी,
कविता और लेख की मानो दुनिया की सबसे बड़ी दिवानी है|
वैसे तो प्यार ,दुनियादारी और दोस्ती , इन सब से वो परे है| और इन कहानियों की दुनिया मे वो ऐसे खोती है जेसे यही असली ज़िन्दगी है!
निशा को सिर्फ अपने पसंद के काम मे मज़ा आता था! उसके पसंद के गाने,कहानियाँ ,खाना और किताबे । बस इन चारो मे उसकी ज़िन्दगी सिमेटी हुई थी।
धीरे धीरे वो नीचे उतर के आती है ।और चुप चाप आकर नाश्ता करने बेठ जाती है! उसको 2 घंटे पहले माँ ने बुलाया था। उसे होश नही रहता की क्या चल रहा है। वो तो बस खोयी हुई है।
अब नाश्ता क्या करोगी बेटा| खाना ही खालो तुम तो। पता नही किसके बारे मैं सोचती हो।
कोन पसंद आ गया है तुम्हे ।निशा की ज़िन्दगी मे ज़्यादा लोग नही थे। उसकी ज़िन्दगी उस अकेली पंखुड़ी की तरह थी जिसका पानी मे गिरने के बाद न तो कोई साथी होता है और न ही ज़िन्दगी का कोई चिन्हित छोर।
निशा को तो बस समर से प्यार था। समर - उसकी सबसे पसन्दीदा कहानी का किरदार था। पर कहानी के अंत मे समर का अंत हो जाता है ।और उसी के साथ निशा का प्यार पर जो विश्वास है उसका भी
अगर आपको दुनिया मे बस एक से ही प्यार हो।तो उसका अंत आपके जीवन का भी अंत करने की ताकत रखता है।उसके बिना आप अकेले हो ,और बस गम मैं उलझे।
इसीलिए प्यार से नफरत है उसे । सही भी है ,जब खुद्की बुनी हुई ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत है तो दूसरो का मोहताज कौन रहना चाहेगा||...............
जारी